- रेल कर्मचारियो ने ली राहत की सास
- अपनी जान जोखिम में डालकर कर रहे थे ब्रिटिश कालीन खस्ताहाल जर्जर इमारतो मे ड्यूटी एवं निवास
- कई अखबारो ने उजागर की थी कुरुम रेल कर्मियों की समस्या
कुरूम।दि.10 अप्रैल!शफ़ी खान
मध्य रेल्वे के भुसावल मंडल में आनेवाला ब्रिटिश कालीन कुरुम रेल्वे स्टेशन को फिलहाल डेढ़ सौ साल पूरे होने जा रहे है। फिर भी अब तक यहा का विकास कोसो दूर था। मजबूरन सभी कर्मचारी ऎसे ब्रिटिश कालीन खस्ताहाल जर्जर इमारतों में अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी एवं निवास करते नजर आते थे। दीवारों में दरारे पड़ ने से ड्यूटी करते समय ऊपर से मिट्टी का गिरना। बारिश के दिनों में तो इनकी और ज्यादा परेशानी बढ़ जाती थी। क्योंकि टूटी छत से बारिश का पानी टपकना। दीवारों की दरार से साप, बिच्छू का निकलना। ऎसे में ड्यूटी करना बड़ी ही परेशानी का सबब बन जाता था। कर्मचारियों के निवास स्थानों के दरवाजे, खिडक़ीया टूटी होने से रातों को परिजनों की जान खतरे में रहती थी। ऎसे में ड्यूटी करते समय परिजनों की चिंता खाई जाती थी। संडास, बाथरूम,तथा पेयजल की समस्या भी गंभीर थी। पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था। ऐसे कई गंभीर समस्याओं के कारण नये आये कर्मचारी एक दिन ड्यूटी करके के बाद दुबारा ड्यूटी ही नही करते सीधा तबादला करवा लेते
जानकारी के लिए बात दे कि ब्रिटिश कालीन बने हुवे कुरुम रेल्वे स्टेशन पर 1 बंगला स्टेशन प्रबंधक और 3 क्वार्टर सा.स्टेशन मास्टर,2 क्वार्टर पॉइंटमेंन,6 क्वार्टर स्विचमेंन,तथा 11 क्वार्टर ट्रैकमैन के है। इन सभी क्वार्टर को बने हुवे करीब डेढ़ सौ साल पूरे होगये है। इस कारण ये सभी क्वार्टर फिलहाल जर्जर एवं खस्ताहाल हो गए है। इन सभी समस्याओ को "के अखबार वालों ने गंभीरता से लेकर सन 2012 से लेकर सन 2016 तक रेल कर्मचारी एवं रेल प्रवासियों के गंभीर समस्याओ को बार बार प्रकशित किया गया था। तब जाकर आज "अखबारों" की बदौलत कई समस्याओ का समाधान होते दिखाई दे रहा है। जिससे कुछ रेल कर्मचारीओ में खुशियो का माहौल बना है। क्योकि की रेल ट्रैकमनो के क्वार्टरो का काम पूरा होकर उनके हवाले कर दीये गए है।और स्टेशन कार्यालय बिल्डिंग का काम भी पूरा हो गया है। केवल किसी अधिकारी के हातो उदघाटन बाकी रह गया है।
कुछ रेल कर्मचारी इस कारण नाराज है कि उनके क्वार्टर बनाना बाकी है। जैसे स्टेशन मास्टर,पॉइंटमेंन तथा स्विचमेंन के क्वार्टर का काम शुरू नही किया गया। अब भी वह अपनी और परिजनों की जान की परवाह न करते ब्रिटिश कालीन खस्ताहाल एवं जर्जर क्वार्टर में ही गुजरा कर रहे है।
"DRM साहब इधर ध्यान देंगे क्या रेल यात्रियों का सवाल कुरुम रेल स्थानक पर पदचारी पुलिया नही होने से यात्रियों की जान खतरे में आन पड़ी है।सवारी गाड़ियों के वक्त माल गाड़ियों का बीच खड़े होना आये दिन रेल यात्रियों को मौत का पैगाम देती है।जिसमे महिला और बुजरुगो की परेशानी बढ़ जाती है। हर किसी को बीच खड़ी माल गाड़ी के नीचे से होकर गुजरना पड़ता है। इस कारण यहाँ पैदल पुलिया बनाना जरूरी है।और इसके साथ साथ प्लेटफार्म की ऊंचाई करना भी अति आवश्यक है।कारण छोटे बच्चे , महिला तथा बुजरुगो को चढ़ने उतरने में आसानी होगी